भारत के हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश का एक महत्वपूर्ण जिला है मण्डला , कान्हा राष्ट्रीय अभ्यारण्य के कारण विश्व के नक्शे पर , जाना पहचाना नाम . इतना ही नहीं यहां पाये जाने वाले जीवाश्म वे प्रागैतिहासिक प्राकृतिक दस्तावेज हैं जो बताते हैं कि ६ करोड़ वर्षो पहले कभी यहाँ समुद्र लहराता था ..... जो भी मित्र इस ग्रुप ब्लाग में लेखक के रूप में सीधे जुड़ना चाहते हों कृपया मुझसे vivekranjan.vinamra@gmail.com पर संपर्क करें .
शनिवार, 4 दिसंबर 2010
आखिर वास्तविक माहिष्मती कहाँ थी ...वर्तमान मण्डला में , महेश्वर में या कही अन्यत्र ??
अपने अतीत के गौरव को समेटने की हमारी प्रवृति , इतिहास को भी अपने पक्ष में करने की राजनीति को जन्म देती है . माहिष्मती अर्वाचीन नगरी थी , जिसके पुरातन साक्ष्य खुदाई से व अर्कालाजिकल प्रमाणो से विशेषज्ञो द्वारा ही निकाले जा सकते हैं . कालिदास साहित्य में वर्णित श्लोक है , जिसके अनुसार माहिष्मती नगरी को नर्मदा नदी तीन ओर से कर्धनी के रूप में घेरे हुये थी . यह भौतिक साक्ष्य आज भी मण्डला के साथ है , महेश्वर में ऐसा नही है . किन्तु फिर भी वहां के लोग उसे माहिष्मती मानते हैं . मण्डला के लोग मण्डला को माहिष्मती मानते हैं . मण्डला में अनेक संस्थानो के नाम माहिष्मती पर हैं . मण्डला में माहिष्मती शोध संस्थान भी है . स्वयं जगतगुरू शंकराचार्य ने मण्डला को माहिष्मती कहा है . किन्तु यह अभी भी विवाद व शोध का विषय है कि आखिर वास्तविक माहिष्मती कहाँ थी ...वर्तमान मण्डला में , महेश्वर में या कही अन्यत्र ?? निवेदन है कि यदि इतिहासज्ञ इस आलेख को पढ़ें तो कृपया अपने अभिमत अवश्य दें .
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कहीं बनारस में तो नहीं है ? सांकलिया जी महाराष्ट्र में लंका ढूंढ रहे थे !
जवाब देंहटाएंवैसे यह ढ़ूंढ़ने का काम तो इंडिया टीवी बड़े ही जोरदार शब्दो में करता है ...
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