मंगलवार, 7 दिसंबर 2010

दर्शन भर से पायें सुदर्शन

नीर नर्मदा का मधु है !

विवेक रंजन श्रीवास्तव
Jabalpur (M.P.) 482008
 009425484452
ई मेल vivek1959@yahoo.co.in

नीर नर्मदा का मधु है !
साधू है हर पीने वाला !
आसक्त न हो भौतिकता का !
मैया तट पर रहने वाला !

मैया का गहना ये वन है !
वनवासी है जीवट वाला !
अपने में परिपूरित जीवन !
संतुष्ट सुखी और मतवाला !

आभूषण पाषाणों के माँ के!
कापू का कछार है फलवाला!
उन सबका जीवन धन्य हुआ!
जिनको गोदी माँ ने पाला !

डुबकी से इक संताप मुक्त हो !
पथिक क्लांत आने वाला !
कल कल बहता नीर निर्मला!
आतृप्त अँजुरी पीने वाला!

समरस सबको करती पोषित!
रेवा माँ ने सबको पाला!
मैया चरणों पर साथ झुकें !
राजा फकीर बालक बाला !

कण कण शंकर बन आप्लावित!
ऐसा मंदिर हैं माँ रेवा !
दर्शन भर से पायें सुदर्शन  !
अद्भुत अमृत जीवन रेखा !

1 टिप्पणी:

  1. adabhut
    समरस सबको करती पोषित!
    रेवा माँ ने सबको पाला!
    मैया चरणों पर साथ झुकें !
    राजा फकीर बालक बाला !

    जवाब देंहटाएं

मण्डला में आपका हार्दिक स्वागत है .....